Teej kab hai 2025: हिंदू संस्कृति में तीज का त्योहार महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। यह पर्व भक्ति, प्रेम और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना का प्रतीक है। हर साल तीन प्रमुख तीज मनाई जाती हैं – हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। इन अवसरों पर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, मेहंदी लगाती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। आइए, जानते हैं कि 2025 में ये त्योहार कब-कब मनाए जाएंगे और इनका क्या महत्व है।
2025 में तीज की तारीखें
- हरियाली तीज: 27 जुलाई 2025, रविवार
- कजरी तीज: 12 अगस्त 2025, मंगलवार
- हरतालिका तीज: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
नोट: ये तारीखें हिंदू पंचांग के आधार पर हैं और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार थोड़ा बदलाव संभव है।
हरियाली तीज 2025:
Teej kab hai 2025 हरियाली तीज 27 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जब चारों ओर हरियाली छाई रहती है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में इस त्योहार का विशेष उत्साह देखने को मिलता है।
मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने 108 जन्मों तक कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। यह पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। महिलाएं इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, झूले झूलती हैं और भक्ति भरे गीत गाती हैं। मेहंदी और चूड़ियों से सजकर वे अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
कजरी तीज कब है 2025
कजरी तीज, जिसे कजली तीज या बूढ़ी तीज भी कहते हैं, 12 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। इस दिन महिलाएं कजरी गीत गाकर प्रकृति, प्रेम और विरह की भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
इस पर्व में भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। परंपरा के अनुसार, मायके से बेटियों को ससुराल में उपहार भेजे जाते हैं, जिसे “सिंजारा” कहते हैं। यह त्योहार खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है, जहां कजरी गीतों की मधुर धुन गूंजती है।
हरतालिका तीज 2025: कठिन व्रत और अटूट भक्ति
हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस व्रत की कथा माता पार्वती की सखियों से जुड़ी है, जिन्होंने उन्हें भगवान शिव से विवाह के लिए उनके पिता के घर से जंगल में ले जाकर छिपा दिया था।
यह व्रत सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। सोलह श्रृंगार कर वे भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं। इस दिन की पूजा से अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
तीज के त्योहार का महत्व
तीज का हर रूप – चाहे हरियाली, कजरी या हरतालिका – महिलाओं की आस्था और प्रेम का प्रतीक है। ये पर्व न केवल पति की लंबी उम्र की कामना से जुड़े हैं, बल्कि परिवार की सुख-समृद्धि और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देते हैं। मेहंदी, झूले, लोकगीत और पारंपरिक नृत्य इस त्योहार को और रंगीन बनाते हैं।
तीज भारत में, खासकर उत्तर भारत और राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे क्षेत्रों में, हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है। तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की कहानी से जुड़ा है।
तीज मनाने के कारण:
- शिव-पार्वती के मिलन का उत्सव:
- तीज का त्योहार माता पार्वती की तपस्या और भगवान शिव के साथ उनके विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, और उनकी यह तपस्या सावन मास में पूरी हुई थी। इसलिए, यह त्योहार वैवाहिक प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
- पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन:
- विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत (बिना पानी के) रखती हैं और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
- मौसम और प्रकृति का स्वागत:
- तीज सावन मास में आती है, जो बरसात का मौसम होता है। यह त्योहार प्रकृति की हरियाली, उर्वरता और सौंदर्य का उत्सव भी माना जाता है। महिलाएं इस अवसर पर झूले झूलती हैं और प्रकृति के साथ खुशी मनाती हैं।
- कुंवारी कन्याओं की कामना:
- अविवाहित लड़कियां भी तीज का व्रत रखती हैं ताकि उन्हें मनचाहा वर (पति) मिले, जैसा कि माता पार्वती को भगवान शिव के रूप में मिला।
तीज के प्रकार:
- हरियाली तीज: सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह सबसे लोकप्रिय तीज है।
- कजरी तीज: भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है।
- हरितालिका तीज: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
उत्सव का तरीका:
- महिलाएं नए वस्त्र, खासकर हरे रंग के कपड़े, पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं।
- शिव-पार्वती की पूजा की जाती है, और व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
- झूले, लोकगीत, नृत्य और मेहंदी जैसे उत्सव के साथ यह त्योहार मनाया जाता है।
- कई जगहों पर मेलों का आयोजन होता है।
तीज न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह महिलाओं के लिए सामाजिक मेलजोल और उत्सव का अवसर भी है, जहां वे एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करती हैं।
2025 में इन तारीखों को अपने कैलेंडर में नोट कर लें और तीज के उत्सव को पूरे उत्साह के साथ मनाएं। क्या आप भी तीज के लिए तैयार हैं? अपनी तैयारियों और परंपराओं को हमारे साथ साझा करें!