DR APJ ABDUL KALAM: मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि आज देश का नमन: एक प्रेरणादायक जीवन यात्रा

नई दिल्ली: आज, 27 जुलाई 2025, भारत अपने प्रिय ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि मना रहा है। इस मौके पर देश का हर नागरिक, चाहे वो आम हो या खास, अपने इस महान सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी डॉ. कलाम को याद करते हुए उन्हें शत-शत नमन किया और उनके योगदान को देश के लिए अनमोल बताया।

सीएम रेखा गुप्ता ने दी श्रद्धांजलि

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर डॉ. कलाम को याद किया। उन्होंने लिखा, “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, हमारे ‘मिसाइल मैन’, जिन्होंने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों और रक्षा ताकत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। एक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने जन-जन के दिलों में जगह बनाई। उनका जीवन सादगी, समर्पण और उत्कृष्टता का जीता-जागता उदाहरण है।” सीएम ने कहा कि डॉ. कलाम ने विज्ञान को राष्ट्र निर्माण का आधार बनाया और युवाओं को सपने देखने, सोचने और मेहनत से लक्ष्य हासिल करने की प्रेरणा दी।

सादगी और प्रतिभा का अनूठा संगम

डॉ. कलाम का व्यक्तित्व इतना जीवंत और प्रेरणादायक था कि वे हर भारतीय के दिल में बसे हैं। एक साधारण अखबार बांटने वाले लड़के से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक का उनका सफर असाधारण है। वे न सिर्फ एक प्रख्यात वैज्ञानिक थे, बल्कि एक मृदुभाषी इंसान, संगीत प्रेमी, वीणा वादक और भावुक शिक्षक भी थे। उनकी सादगी और मिलनसार स्वभाव ने उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ बनाया।

साधारण शुरुआत, असाधारण उपलब्धियां

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. कलाम अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाव मालिक थे, और मां आशियम्मा एक गृहिणी। आर्थिक तंगी के बावजूद, कलाम ने पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत की। स्कूल के दिनों में वे सुबह-सुबह अखबार बांटकर परिवार की मदद करते थे।

हवाई जहाज, रॉकेट और अंतरिक्ष के प्रति उनका जुनून बचपन से ही था। रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल और रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई के बाद, उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में डिग्री हासिल की। इसके बाद, अपने सपनों को पंख देने के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।

‘मिसाइल मैन’ की शुरुआत

1958 में दिल्ली में वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGAQA) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले डॉ. कलाम ने बाद में डीआरडीओ जॉइन किया। यहां उन्होंने एक छोटे होवरक्राफ्ट के डिजाइन में योगदान दिया। 1969 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में शामिल हुए, जहां से उनके मिसाइल और रॉकेट तकनीक के क्षेत्र में शानदार योगदान की शुरुआत हुई।

भारत को दीं अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग

इसरो में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. कलाम ने रॉकेट लॉन्च सिस्टम की नींव रखी। 1980 में, एसएलवी-3 के परियोजना निदेशक के रूप में, उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया, जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब में शामिल कराया। उनके नेतृत्व में अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी मिसाइलों का विकास हुआ, जिन्होंने भारत की रक्षा शक्ति को अभेद्य बनाया।

1998 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में, डॉ. कलाम ने पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इस योगदान ने उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ की उपाधि दिलाई।

युवाओं के प्रेरणास्रोत

राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल (2002-2007) के बाद भी डॉ. कलाम कभी रुके नहीं। वे देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में गए, छात्रों से मिले और उन्हें प्रेरणादायक भाषण दिए। उनकी सादगी और मिलनसार स्वभाव ने उन्हें हर वर्ग के लोगों का चहेता बनाया। वे कहते थे, “सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।”

समाज के लिए योगदान

डॉ. कलाम ने 2013 में PURA (Providing Urban Amenities to Rural Areas) मॉडल पेश किया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं और रोजगार के अवसर लाना था। 2012 में, उन्होंने डॉ. सोमा राजू के साथ मिलकर ‘कलाम-राजू स्टेंट’ विकसित किया, जो एक किफायती कोरोनरी स्टेंट था। उसी साल, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक टैबलेट कंप्यूटर भी डिजाइन किया।

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. कलाम को उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें भारत रत्न (1997), पद्म भूषण (1981), और पद्म विभूषण (1990) शामिल हैं। उनकी किताबें जैसे विंग्स ऑफ फायर और इग्नाइटेड माइंड्स आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

एक अनमोल रत्न का जाना

27 जुलाई 2015 को, शिलॉन्ग में एक व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से डॉ. कलाम का निधन हो गया। लेकिन उनकी शिक्षाएं, उनके सपने और उनकी प्रेरणा आज भी जीवित हैं। वे हमेशा भारत के युवाओं और हर नागरिक के दिलों में बने रहेंगे। आइए, इस पुण्यतिथि पर हम सब मिलकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को नमन करें और उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प लें।